
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के जगदलपुर शहर में 618 वर्षों से बस्तर में मनाये जा रहे बस्तर दशहरा की रविवार से काछन देवी विधान से शुरुआत हो गई है।
विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा और नवरात्र महापर्व एक साथ होने से बस्तर अंचल के कोने-कोने से बड़ी संख्या में ग्रामीण युवक-युवतियां, पुरुष एवं मातृशक्ति अपने-अपने क्षेत्र गांव से पैदल दंतेवाड़ा माँ दंतेश्वरी के दर्शन को निकलते है।
इस वर्ष भी नवरात्रि के एक दिन पहले से पदयात्रियों का जत्था दंतेवाड़ा दर्शन के लिए पदयात्रा पर निकलने का सिलसिला 28 सितंबर तक अनवरत जारी रहा।
रेलवे प्रशासन पिछले वर्ष जगदलपुर से दंतेवाड़ा-जगदलपुर दिन में दो पाली में स्पेशल पैसेंजर ट्रेन का संचालन किया था। इस वर्ष विशेष पैसेंजर ट्रेन परिचालन नही होने से पदयात्रियों को और जगदलपुर दशहरा देखने आने वाले दक्षिण बस्तर के ग्रामीणों को भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
विशाखापत्तनम से किरन्दुल तक चलती हैं दो ट्रेनें
विदित हो कि विशाखापत्तनम से किरन्दुल के मध्य दो नियमित यात्री ट्रेनों का परिचालन हो रहा है। लेकिन पर्व के चलते दोनों ट्रेनो ने भीड़ इतनी बढ़ रही है कि, लोगो को रेल कोच (डिब्बे) में पांव रखने की जगह नही मिल रहा है।
नाईट एक्सप्रेस सुबह 5 बजे जगदलपुर पहुंचती है और 10 मिनट के स्टापेज के बाद सवा 5 बजे किरन्दुल रवाना हो जाती। जबकि यही ट्रेन वापसी में देर शाम साढ़े 7 बजे जगदलपुर पहुंचती है।
पैसेंजर ट्रेन विशाखापत्तनम से शाम साढ़े 4 बजे जगदलपुर पहुंचती और 10 मिनट के स्टापेज के बाद किरन्दुल रवाना हो जाती। यह ट्रेन वापसी में दूसरे दिन सुबह 5 बजे किरन्दुल से रवाना होकर सुबह 9.45 बजे जगदलपुर पहुंचती है।